जब भी करें पूजा ये एक मंत्र जरूर बोलें, आपके सारे पाप हो सकते हैं नष्ट
पूजा करते समय यहां बताए जा रहे मंत्र का जाप करने से सभी पापों का असर खत्म हो सकता है।
dainikbhaskar.com | Last Modified - Apr 11, 2018, 05:25 PM IST
यूटिलिटी डेस्क. परिक्रमा करना किसी भी देवी-देवता की पूजा का खास अंग है। शास्त्रों में माना गया है कि परिक्रमा से पापों का नाश होता है। विज्ञान की नजर से देखें तो शारीरिक ऊर्जा के विकास में परिक्रमा का विशेष महत्व है। भगवान की मूर्ति और मंदिर की परिक्रमा हमेशा दाहिने हाथ से शुरू करना चाहिए, क्योंकि प्रतिमाओं में मौजूद सकारात्मक ऊर्जा उत्तर से दक्षिण की ओर प्रवाहित होती है। बाएं हाथ की ओर से परिक्रमा करने पर इस सकारात्मक ऊर्जा से हमारे शरीर का टकराव होता है, जिसके कारण शारीरिक बल कम होता है। जाने-अनजाने की गई उल्टी परिक्रमा हमारे व्यक्तित्व को नुकसान पहुंचाती है। दाहिने का अर्थ दक्षिण भी होता है,इस कारण से परिक्रमा को ‘प्रदक्षिणा’ भी कहा जाता है। उज्जैन के इंद्रेश्वर महादेव मंदिर के पुजारी पं. सुनील नागर के अनुसार यहां जानिए परिक्रमा मंत्र और खास बातें...
इस मंत्र के साथ करें देव परिक्रमा-
यानि कानि च पापानि जन्मांतर कृतानि च।
तानि सवार्णि नश्यन्तु प्रदक्षिणे पदे-पदे।।
अर्थ:जाने अनजाने में किए गए और पूर्वजन्मों के भी सारे पाप प्रदक्षिणा के साथ-साथ नष्ट हो जाए। परमेश्वर मुझे सद्बुद्धि प्रदान करें।
पंचदेव परिक्रमा
सूर्य देव की सात, श्रीगणेश की चार, श्री विष्णु की पांच, श्री दुर्गा की एक, श्री शिव की आधी प्रदक्षिणा करें। शिव की मात्र आधी ही प्रदक्षिणा की जाती है,जिसके विशेष में मान्यता है कि जलधारी का उल्लंघन नहीं किया जाता है। जलधारी तक पंहुचकर परिक्रमा को पूर्ण मान लिया जाता है।
इस तरह भी कर सकते हैं प्रदक्षिणा
प्रदक्षिणा में आमतौर किसी भी देवमूर्ति के चारों ओर घूमकर की जाती है लेकिन कभी -कभी देवमूर्ति की पीठ दीवार की ओर रहने से प्रदक्षिणा के लिए फेरे लेने को पर्याप्त जगह नहीं होती है। घरों में भी पूजन करते समय देवमूर्ति की स्थापना किसी दीवार के सहारे से ही की जाती है। ऐसा होने पर देवमूर्ति के समक्ष यानी सामने भी गोल घूमकर प्रदक्षिणा की जा सकती है।ये भी पढ़ें-
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