स्त्री हो या पुरुष बात करते समय न करें ये 4 काम, क्योंकि ये हैं महापाप
पाप कर्मों से बचेंगे तो जीवन में हमेशा सुख बना रहता है।
यूटीलिटी डेस्क | Last Modified - Jan 22, 2018, 05:00 PM IST
- +2और स्लाइड देखें
जो लोग बेकार के विषयों पर जितना कम सोचते हैं और जितना कम बोलते हैं, वे उतने ही ज्यादा सुखी और शांत रहते हैं। व्यर्थ सोचने वाले और बोलने वाले लोग मानसिक तनाव का सामना करते हैं। ऐसे लोग न तो प्रसन्न रह पाते हैं और ना ही धर्म-आध्यात्म में लाभ प्राप्त कर पाते हैं। हमें सुख मिलेगा या दुख, ये हमारे पाप-पुण्य पर निर्भर होता है। गरुड़ पुराण में बताया गया है कि हमारी बोली से भी महापाप होते हैं। यहां जानिए बोलते समय कौन-कौन से 4 पाप होते हैं, जिनसे बचना चाहिए...
1. किसी की निंदा (बुराई) करना, चुगली करना
कई लोग अपनी बोली से ये पाप करते हैं। किसी की निंदा करना या चुगली करना भी एक पाप माना गया है। बुराई करने से या चुगली करने से आपसी रिश्तों में खटास आ जाती है। रिश्तों में परस्पर प्रेम बना रहे, इसके लिए किसी की भी बुराई नहीं करना चाहिए। हमेशा दूसरों के अच्छाई को महत्व देना चाहिए। हमें कभी भी ऐसी वाणी का उपयोग नहीं करना चाहिए, जिससे किसी को भी दुख पहुंचे।
2. कड़वा बोलना
कई लोग स्वभाव से कठोर होते हैं और उनकी वाणी में भी कठोरता होती है। इस कारण वे कड़वे शब्दों का प्रयोग करते हैं। कड़वे शब्दों का प्रयोग करना भी वाणी से होने वाला एक पाप है। कड़वी वाणी यानी हमेशा ऐसे शब्दों का प्रयोग करना, जिससे दूसरों के मन को ठेस पहुंचती है। किसी भी बात को कहने के अलग-अलग तरीके होते हैं। हमें अपनी बात कहने के लिए मीठी वाणी का उपयोग करना चाहिए। मीठी वाणी यानी बात को कहने का लहजा ऐसा होना चाहिए कि सामने वाले व्यक्ति को हमारी बात से बुरा महसूस ना हो।
- +2और स्लाइड देखें
3. झूठ बोलना
झूठ बोलना पाप है, ये बात तो सभी जानते हैं। झूठ, शुरू में तो सुख दे जाता है, लेकिन भविष्य में एक झूठ के कारण कई और झूठ बोलना पड़ते हैं। झूठ के कारण नित नई परेशानियां उभरती हैं। इनसे हमें तो दुखों का सामना करना ही पड़ता है, साथ ही दूसरों के जीवन में भी समस्याएं उत्पन्न हो जाती है। कई बार छोटे-छोटे झूठ भी बड़ा दर्द दे जाते हैं। इसीलिए झूठ बोलने से बचना चाहिए।
- +2और स्लाइड देखें
4. व्यर्थ की बातें करना
व्यर्थ की बातें करना यानी बकवास करना भी पाप की श्रेणी में ही माना गया है। व्यर्थ की बात करने से दूसरों के समय की बर्बादी होती है और उन्हें अशांति महसूस होती है। दूसरों को किसी भी प्रकार से कष्ट देना पाप है। हमेशा काम की बात ही करना चाहिए। जितना जरूरी हो, उतना ही बोलें।
हमें बोलते समय ध्यान रखना चाहिए कि हमारी वाणी से कोई विवाद उत्पन्न न हो, झूठ ना हो।
हम जो भी बोलते हैं, वह दूसरों को प्रिय लगना चाहिए और हमारी वाणी से किसी को कोई नुकसान नहीं होना चाहिए।
(News in Hindi from Dainik Bhaskar)