ग्रंथों के ये श्लोक पूरी तरह बदल सकते हैं आपकी सोच और नजरिया
ग्रंथों में बताए गए कुछ श्लोक और दोहे ऐसे हैं, जो किसी का भी सोचने व समझने का नजरिया बदल सकते हैं।
यूटिलिटी डेस्क | Last Modified - Feb 16, 2018, 05:00 PM IST
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ग्रंथों में बताए गए कुछ श्लोक और दोहे ऐसे हैं, जो किसी का भी सोचने व समझने का नजरिया बदल सकते हैं। गीता के श्लोक, कबीर दास जी और तुलसीदास जी के कुछ दोहों को आप समझेंगे तो हो सकता है आपकी सोच और नजरिए में सकारात्मक बदलाव होने लगे। इनमें जीवन की सत्यता के बारे में बताया गया हैं। इन दोहों और श्लोक को अपनाकर आप मुसिबत में फंसने से बच सकते हैं।
आइए जानते हैं कुछ ऐसे ही ज्ञानवर्धक दोहों और श्लोकों को…
गीता से...
त्रिविधं नरकस्येदं द्वारं नाशनमात्मन:।
काम: क्रोधस्तथा लोभस्तस्मादेतत्त्रयं त्यजेत्।।अर्थ -काम, क्रोध और लालच यानी लोभ ये तीन तरह के द्वार आत्मा का नाश करने वाले हैं। ये तीनों ही इंसान को बुरी गति में ले जाने वाले है। इसलिए इन्हें त्याग देना चाहिए।
तस्माद्यस्य महाबाहो निगृहीतानि सर्वश:।
इंद्रियाणिइंद्रियार्थेभ्यस्तस्य प्रज्ञा प्रतिष्ठिता।। (गीता )
अर्थ - इसलिए हे माहाबाहो जिस इंसान की इंद्रियां व इंद्रियों के विषय उसके वश में है, उसी की बुद्धि स्थिर है।
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तुलसी का दोहा -
तुलसी साथी विपत्ति के विद्या विनय विवेक ।
साहस सुकृति सुसत्यव्रत राम भरोसे एक ।।अर्थ -तुलसीदास जी कहते हैं कि विपत्ति में यानी मुश्किल वक्त में ये चीजें मनुष्य का साथ देती है। ज्ञान, विनम्रता पूर्वक व्यवहार, विवेक, साहस, अच्छे कर्म, आपका सत्य और राम (भगवान ) का नाम।
सुभाषतानि से…
1. अल्पानमपि वस्तूनाम संहति: कार्यसाधिका।
तृणैर्गुणत्वमापन्नै: बंध्यते मत्तदंतिन:।।अर्थ -छोटी-छोटी चीजों का सही मेल और इस्तेमाल भी महान कामों को पूरा करने में सक्षम होता है। उदाहरण के तौर पर घास-फूस से बनी छड़ी से शक्तिशाली हाथी को नियंत्रित किया जाता है और वह बंधन में आ जाता है।
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कबीर के दोहे -1. बोली एक अनमोल है, जो कोई बोलै जानि,
हिये तराजू तौलि के, तब मुख बाहर आनि।अर्थ - जिसे बोल का महत्व पता है वह बिना शब्दों को तोले नहीं बोलता। कहते है कि कमान से छुटा तीर और मुंह से निकले शब्द कभी वापस नहीं आते। इसलिए इन्हें बिना सोचे-समझे इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। जीवन में वक्त बीत जाता है पर शब्दों के बाण जीवन को रोक देते है। इसलिए वाणी में नियंत्रण और मिठास का होना जरुरी है।
2.तिनका कबहुं ना निंदये, जो पांव तले होय ।
कबहुं उड़ आंखो पड़े, पीर घानेरी होय ॥अर्थ -कबीर दास कहते हैं जैसे धरती पर पड़ा तिनका आपको कभी कोई कष्ट नहीं पहुंचाता, लेकिन जब वही तिनका उड़ कर आंख में चला जाए तो बहुत कष्टदायी हो जाता हैं। यानी जीवन में किसी को भी तुच्छ या कमजोर समझने की गलती ना करे। जीवन में कब कौन क्या कर जाए कहा नहीं जा सकता।
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(News in Hindi from Dainik Bhaskar)